शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में ये पाया है कि शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में नींद विकारों और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ा हुआ रहता है, जिसके कारण किसी भी व्यक्ति में ह्रदय रोग, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इन शोधकर्ताओं में से एक भारतीय मूल के शोधकर्ता भी शामिल हैं।
द जर्नल ऑफ द अमेरिकन ओस्टियोपैथिक एसोसिएशन में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोग विशेषकर नींद विकारों और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। इसका खतरा उन लोगों में ज्यादा रहता है, जो लोग रोटेश्नल शिफ्ट में काम करते हैं।
अमेरिका की टोरंटो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और अध्ययन की मुख्य लेखिका व भारतीय मूल की शोधकर्ता शमा कुलकर्णी का कहना है, ''हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती और हमारे समाज की सुरक्षा रात की शिफ्ट में काम करने वालों पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस कार्य पंक्ति में लोगों के सामने आने वाले स्वास्थ्य के मुद्दों को हल करें।''
एक अध्ययन में पाया गया कि रात की शिफ्ट में काम करने वाली नौ फीसदी नर्से मेटाबॉलिक सिंड्रोम का शिकार हो जाती हैं जबकि दिन में काम करने वाली 1.8 फीसदी नर्सों में ये समस्या होती हैं। अन्य अध्ययनों में पाया गया कि जैसे-जैसे शिफ्ट के काम का वक्त लंबा होता चला जाता है, ये खतरा उतना बढ़ता चला जाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रात में काम करने से किसी भी व्यक्ति की 'सर्कडियन रिदम' बाधित होती है। ये शरीर की आंतरिक घड़ी है, जो हमारे न्यूरो और हार्मोनल संकेतों के लिए जिम्मेदार होती है। जब किसी व्यक्ति की 'सर्कडियन रिदम' में गड़बड़ी आ जाती है तो उसका नींद चक्र खराब हो जाता है, जिसके कारण उसके हार्मोनल लेवल में गड़बड़ी होनी शुरू हो जाती है। इसमें कोर्टिसोल, घ्रेलिन और इंसुलिन में वृद्धि और सेरोटोनिन में कमी जैसी अन्य चीजें होने लगती हैं।
हार्मोनल परिवर्तन मेटाबॉलिक संबंधी विकारों के विकास को प्रेरित करता है और लोगों में कई क्रॉनिक स्थितियों को विकसित करने का कारण बनता है। दिन के 24 घंटों में से 7 से 8 घंटे जरूर सोना चाहिए और अगर वक्त एक ही हो तो आपके लिए बेहतर होगा। शोधकर्ताओं की सलाह है कि सर्कडियन रिदम में कम बाधा आए इसके लिए आप शाम या फिर रात के वक्त ही सोएं।
- शोधकर्ताओं के मुताबिक, थकान से बचने के लिए दिन में 20 मिनट से दो घंटे की नींद ले सकते हैं।
- रोशनी के संपर्क में आने से जागे रहना आम बात है इसलिए शोधकर्ताओं ने रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को शिफ्ट के दौरान अपने आस-पास रोशनी बढ़ाने की सलाह दी है।
- पिछले अध्ययनों में ये दर्शाया गया था कि शिफ्ट में काम करने वाले लोग हाई शुगर और सैच्यूरेटेड फैट वाले स्नैक खाना पसंद करते हैं। वे कम प्रोटीन और सब्जियां लेते हैं और भोजन भी छोड़ देते हैं।
कुलकर्णी ने कहा, ''ये सच है कि पर्याप्त नींद, सही खान-पान और एक्सरसाइज करना सभी के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होता है।'' उन्होंने कहा हालांकि इन सिद्धांतों के साथ शिफ्ट वर्क की प्रकृति भटकाव और कलह वाली है इसलिए हमें वास्तव में उन लोगों की मदद करने की जरूरत है , जो रात की शिफ्ट में काम करते हैं।